गाय-भैंस को संगीत सुनाने से दूध क्यों बढ़ता है? | Animal Health Treatment “गाँव की पशु चिकित्सा”

गाय-भैंस को संगीत सुनाने से दूध क्यों बढ़ता है?

क्या आपने कभी सोचा है कि गाय या भैंस को संगीत सुनाने से दूध की मात्रा कैसे बढ़ सकती है? यह सुनने में अजीब लगता है, लेकिन कई वैज्ञानिक शोध और किसानों के अनुभव बताते हैं कि सुमधुर संगीत पशुओं के मूड, स्वास्थ्य और दूध उत्पादन को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है। इस लेख में हम इसके पीछे के वैज्ञानिक कारण, किसानों के अनुभव, और इसे अपनाने के आसान तरीके बताएंगे।


गाय और भैंस के लिए ध्यान केंद्रित करने वाला संगीत


संगीत और पशुओं का संबंध

जानवर भी इंसानों की तरह अपने वातावरण पर प्रतिक्रिया करते हैं। तेज आवाज़, अचानक शोर या तनावपूर्ण माहौल पशुओं के शरीर में तनाव हार्मोन (जैसे कोर्टिसोल) बढ़ा देता है, जिससे दूध का उत्पादन कम हो सकता है। वहीं, धीमा और सुमधुर संगीत उनके दिमाग को शांत करता है, जिससे वे आराम महसूस करते हैं और शरीर में ऐसे हार्मोन का स्राव होता है जो दूध उत्पादन के लिए आवश्यक हैं।

वैज्ञानिक कारण

  • तनाव कम होना: जब पशु शांत रहते हैं, तो उनका ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन सामान्य रहती है। इससे दूध उत्पादन की प्रक्रिया पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता।
  • ऑक्सिटोसिन का स्तर बढ़ना: शांत माहौल और सुकून देने वाला संगीत ऑक्सिटोसिन हार्मोन का स्राव बढ़ाता है, जो दूध निकालने में मदद करता है।
  • नियमित दिनचर्या: रोज़ाना एक ही समय पर संगीत बजाने से पशु को एक निश्चित पैटर्न की आदत पड़ जाती है, जिससे दूध दोहन के समय वे ज्यादा सहयोगी रहते हैं।

किसानों के अनुभव

गाय और भैंस के लिए ध्यान केंद्रित करने वाला संगीत

कई डेयरी फार्मर्स ने अपने अनुभव में पाया कि सुबह और शाम दूध निकालने से पहले 20–30 मिनट धीमा संगीत चलाने पर पशु अधिक शांत और स्थिर रहते हैं। भारत के कुछ राज्यों में किसानों ने क्लासिकल संगीत, भजन या नेचर साउंड (पक्षियों की आवाज़, पानी की धारा) का उपयोग करके अच्छे परिणाम पाए हैं।

कैसे शुरू करें?

  1. डेयरी शेड या गोशाला में छोटा सा स्पीकर लगाएं, जो पूरी जगह में समान रूप से आवाज़ पहुंचा सके।
  2. आवाज़ की मात्रा मध्यम रखें (लगभग 50–60 dB), ताकि यह आरामदायक हो और शोर न लगे।
  3. संगीत सुबह और शाम दूध निकालने से 15–20 मिनट पहले शुरू करें और दूध निकालते समय भी चालू रखें।
  4. धीमा instrumental, क्लासिकल धुन, या नेचर साउंड का चयन करें। तेज बीट और ऊँची आवाज़ वाले गाने न चलाएं।
  5. कम से कम 2–4 हफ्ते तक लगातार इस प्रयोग को जारी रखें और दूध की मात्रा में होने वाले बदलाव को नोट करें।
सावधानी: अगर दूध उत्पादन में अचानक कमी आ जाए या पशु असामान्य व्यवहार करने लगे, तो तुरंत पशुचिकित्सक से सलाह लें। संगीत केवल एक सहायक तरीका है, किसी बीमारी का इलाज नहीं।

छोटा प्रयोग: 14 दिन में फर्क देखें

अगर आप सुनिश्चित होना चाहते हैं कि संगीत का प्रभाव हो रहा है या नहीं, तो यह छोटा प्रयोग करें:

  • पहले 7 दिन: बिना संगीत के दूध निकालें और रोज़ का उत्पादन लिखें।
  • अगले 7 दिन: सुबह-शाम 20–30 मिनट धीमा संगीत चलाकर दूध निकालें और आंकड़े नोट करें।
  • दोनों हफ्तों के आंकड़ों की तुलना करें — फर्क आपको खुद दिखाई देगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

कौन सा संगीत सबसे अच्छा है?
धीमा instrumental, क्लासिकल या प्राकृतिक ध्वनियां।

क्या यह सभी पशुओं पर असर करता है?
अधिकांश डेयरी पशुओं पर यह असर करता है, लेकिन असर की मात्रा अलग-अलग हो सकती है।

कितना समय लग सकता है?
2–4 हफ्तों में छोटे-मोटे बदलाव नजर आने लगते हैं।


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