भारत और दुनिया की प्रमुख गायों की नस्लें: दूध उत्पादन और खासियतें - Major cow breeds of India and the world: milk production and characteristics

कौन-सी गाय, किसके लिए बेस्ट?


भारतीय देसी/इंडिक नस्लें

1) साहीवाल 

  • औसत दूध: 8–14 ली/दिन (अच्छे मैनेजमेंट पर अधिक)
  • फैट%: करीब 4.5–5.0
  • खासियत: गर्मी सहनशील, बीमारियाँ कम, हीट में भी स्थिर प्रोडक्शन
  • किसके लिए: जिन इलाकों में गर्मी लंबी रहती है और बिजली/कूलिंग सीमित है

2) गीर 

  • औसत दूध: 8–12 ली/दिन
  • फैट%: ~4.5
  • खासियत: लंबी उम्र, मजबूत पैर, स्वभाव शांत; चराई पर बढ़िया
  • किसके लिए: जिनके पास खुला चरागाह और देसी सिस्टम है

3) थरपारकर 

  • औसत दूध: 6–10 ली/दिन
  • खासियत: गर्म/सूखा मौसम झेल लेती; किफ़ायती रखरखाव
  • किसके लिए: जल-संकट या सीमित फीड वाले किसान

4) कांकरेज 

कांगरेज गाय, बड़े सींग और चमकदार सफेद-भूरे रंग की

  • औसत दूध: 6–10 ली/दिन
  • खासियत: भारी काया, बैल खेती में दमदार; रोग प्रतिरोध अच्छा
  • किसके लिए: फसल + डेयरी दोनों का संतुलन चाहने वाले

5) हरियाणा

  • औसत दूध: 6–9 ली/दिन
  • खासियत: सरल देखभाल, देसी जलवायु में फिट
  • किसके लिए: छोटे/मध्यम किसान, ऑर्गेनिक खेती

एक्सॉटिक/क्रॉस नस्लें

6) हॉलस्टीन फ्रिज़ियन (HF) 

  • औसत दूध: 18–28+ ली/दिन (टॉप मैनेजमेंट पर)
  • फैट%: 3.2–3.8
  • जरूरी सिस्टम: ठंडक, स्वच्छता, समय पर दुहाई, बैलेंस्ड रेशन
  • किसके लिए: कमर्शियल/सेल-फोकस डेयरी, जहाँ फीड और मैनेजमेंट पर निवेश संभव

7) जर्सी 

  • औसत दूध: 8–14 ली/दिन
  • फैट%: 4.5–5.5 (घी/मलाई के लिए बढ़िया)
  • खासियत: छोटा शरीर = फीड कम; हीट टॉलरेंस HF से बेहतर
  • किसके लिए: परिवार/छोटी डेयरी—किफ़ायती और स्वादिष्ट दूध

8) ब्राउन स्विस 

  • औसत दूध: 10–18 ली/दिन
  • खासियत: स्ट्रक्चर मजबूत, स्वभाव शांत, चराई पर अच्छा प्रदर्शन
  • किसके लिए: बैलेंस चाहिए—ठीक-ठाक मात्रा + आसान मैनेजमेंट

दूध दुहने के नियम (थन-स्वच्छता)

  1. दुहाई का समय फिक्स रखें (सुबह/शाम एक ही टाइम)

बछड़े की शुरुआत—2 घंटे का नियम

  • जन्म के पहले 2 घंटे में कोलोस्ट्रम; 3 दिन तक भरपूर।
  • नाभि को आयोडीन से साफ; सूखी गरम जगह दें।

स्वास्थ्य—टीकाकरण/कृमिनाशक

अपने जिला पशुचिकित्सालय का शेड्यूल नोट रखो: FMD, HS, BQ जैसी बीमारियों के टीके समय पर; हर 3–6 महीने में कृमिनाशक। बीमार काउन अलग बाड़े में—बायो-सेक्योरिटी सबसे सस्ता इंश्योरेंस है।


बार-बार पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q1: पहली काउन कौन-सी लूँ?
Ans: जो नस्ल आपके इलाके में सर्विसेबल है (AI/डॉक्टर/चारा), वही लें। शुरुआत में जर्सी/देसी/ब्राउन स्विस जैसे आसान विकल्प बेहतर।

Q2: दूध अचानक कम क्यों हो गया?
Ans: हीट स्ट्रेस, फीड में बदलाव, पानी कम, थन-सफाई ढीली या साइलिज़ खत्म। एक-एक करके कारण हटाएँ—ज़्यादातर केस खुद ठीक हो जाता है।

Q3: देसी बनाम HF—कौन फायदे में?
Ans: देसी = खर्च कम + जोखिम कम; HF = मात्रा ज्यादा पर मैनेजमेंट टाइट। आपका सिस्टम जो सपोर्ट करे, वही फायदे में।

Q4: बछड़े दुबले रह जाते हैं—क्या करें?
Ans: पहले 2 घंटे का कोलोस्ट्रम, फिर फीडिंग शेड्यूल; कीड़े/दस्त का समय पर इलाज; रस्सी ढीली, चलना-फिरना जरूरी।


निष्कर्ष—“आपकी स्थिति, आपका निर्णय”

डेयरी में कोई एक नस्ल सबके लिए नंबर-1 नहीं। आपके मौसम, चारे, बजट और समय के हिसाब से सही चुनाव ही असली जीत है। ऊपर दी गई तुलना, रोज़ की रूटीन और छोटे-छोटे नियम फॉलो करेंगे तो दूध भी बढ़ेगा, दिक्कतें भी घटेंगी—यही किसान-स्टाइल स्मार्ट डेयरी है। अगर चाहो तो कमेंट में अपना गाँव/मौसम/लक्ष्य लिखो—मैं उसी के हिसाब से कस्टम फीड चार्ट बना दूँगा।



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