अंतरिक्ष यात्रा का जानवरों पर प्रभाव – NASA के प्रयोगों से क्या सीखा? - Effects of space travel on animals – what we learned from NASA's experiments

अंतरिक्ष यात्रा का जानवरों पर प्रभाव – NASA के प्रयोगों से क्या सीखा?


मानव सभ्यता हमेशा से अंतरिक्ष की ओर आकर्षित रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतरिक्ष में जाने वाले पहले यात्री इंसान नहीं बल्कि जानवर थे? इंसानों से पहले कुत्ते, बंदर, चूहे और यहां तक कि छोटे-छोटे कीटों ने भी अंतरिक्ष की यात्रा की थी। इन प्रयोगों ने हमें यह समझने का मौका दिया कि शून्य गुरुत्वाकर्षण और अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियाँ जीवों के शरीर और दिमाग पर कैसे असर डालती हैं।

🔹 शुरुआत – जब जानवर बने पहले अंतरिक्ष यात्री

1957 में सोवियत संघ ने लाईका नाम की एक आवारा कुतिया को अंतरिक्ष में भेजा। यह पहला मौका था जब किसी जीव ने पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश किया। इसके बाद अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ने बंदरों, खरगोशों, चूहों, यहां तक कि मछलियों तक को अंतरिक्ष में भेजा।

इन सभी का उद्देश्य यह समझना था कि क्या इंसान के लिए अंतरिक्ष में जीना संभव है या नहीं। क्योंकि यदि जानवर शून्य गुरुत्वाकर्षण, विकिरण और ऑक्सीजन की कमी जैसी परिस्थितियों को झेल सकते हैं, तो इंसानों के लिए भी उम्मीद की किरण बनती है।

🔹 NASA और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर प्रयोग

पिछले कई दशकों में NASA और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों ने हजारों जानवरों पर प्रयोग किए हैं। ISS पर आज भी वैज्ञानिक चूहों, मछलियों, कीटों और सूक्ष्म जीवों को भेजते रहते हैं।

  • चूहे: अंतरिक्ष में रहने वाले चूहों की हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती हैं और उनकी मांसपेशियों की ताकत भी घट जाती है।
  • फल मक्खियाँ: इन छोटे कीड़ों पर अंतरिक्ष का प्रभाव हमें यह समझने में मदद करता है कि जीन कैसे बदलते हैं।
  • टार्डिग्रेड (पानी का कीड़ा): यह सबसे मजबूत जीवों में से एक है। यह विकिरण और ऑक्सीजन की कमी को भी झेल सकता है।
  • मछलियाँ और मेंढक: इनके प्रयोग से हमें यह समझने में मदद मिलती है कि अंतरिक्ष में प्रजनन और विकास संभव है या नहीं।

🔹 अंतरिक्ष का जानवरों पर स्वास्थ्य प्रभाव


अंतरिक्ष यात्रा जानवरों के लिए आसान नहीं है। कई बार छोटे-छोटे बदलाव उनकी पूरी सेहत को प्रभावित कर देते हैं।

  • हड्डियाँ और मांसपेशियाँ: गुरुत्वाकर्षण की कमी से हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं और मांसपेशियों की ताकत घट जाती है।
  • हृदय और रक्त संचार: अंतरिक्ष में दिल को खून पंप करने में कठिनाई होती है।
  • मस्तिष्क और व्यवहार: कई जानवर तनावग्रस्त हो जाते हैं, उन्हें दिशा समझने में दिक्कत होती है।
  • प्रजनन: अब तक के प्रयोग बताते हैं कि अंतरिक्ष में गर्भधारण और बच्चों का विकास चुनौतीपूर्ण है।

🔹 अंतरिक्ष विकिरण का असर

पृथ्वी का वातावरण हमें खतरनाक विकिरणों से बचाता है, लेकिन अंतरिक्ष में यह सुरक्षा नहीं होती। जानवरों पर किए गए प्रयोगों से पता चला है कि लंबी अंतरिक्ष यात्राओं से कैंसर, डीएनए डैमेज और बांझपन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। यह अध्ययन इंसानों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि भविष्य में जब मंगल और चंद्रमा पर कॉलोनी बनाई जाएगी, तब विकिरण सबसे बड़ी समस्या बनेगा।

🔹 अंतरिक्ष में भोजन और पाचन


जानवरों पर किए गए प्रयोग बताते हैं कि शून्य गुरुत्वाकर्षण में भोजन और पानी का पाचन अलग तरीके से होता है। कई बार चूहे और कीड़े सही तरीके से खाना नहीं खा पाते। यह हमें यह समझने में मदद करता है कि भविष्य में इंसानों के लिए स्पेस फूड कैसा होना चाहिए।

🔹 भविष्य – क्या जानवर भी बसेंगे चंद्रमा और मंगल पर?

भविष्य में जब इंसान मंगल या चंद्रमा पर बसने की कोशिश करेगा, तब यह सवाल भी उठेगा कि क्या वहां जानवर भी रह पाएंगे। क्या हम वहां गाय, बकरी या मुर्गियां पाल पाएंगे? क्या स्पेस कॉलोनियों में पालतू जानवर रखना संभव होगा?

वैज्ञानिक मानते हैं कि यह संभव है, लेकिन इसके लिए हमें पहले बहुत से प्रयोग करने होंगे। क्योंकि अभी तक अंतरिक्ष की परिस्थितियों में बड़े जानवरों को लंबे समय तक नहीं रखा गया है।

🔹 इंसानों के लिए सीख

जानवरों पर किए गए सभी प्रयोग हमें यह सिखाते हैं कि इंसानों का शरीर अंतरिक्ष यात्रा को कैसे झेलेगा।

  • यदि चूहों की हड्डियाँ कमजोर होती हैं, तो इंसानों को भी यही समस्या होगी।
  • यदि कीड़ों में जीन बदलते हैं, तो इंसानों का डीएनए भी प्रभावित होगा।
  • यदि मछलियाँ सही से प्रजनन नहीं कर पातीं, तो इंसानों के लिए भी यह कठिन होगा।

🔹 निष्कर्ष


अंतरिक्ष में जानवरों के प्रयोग सिर्फ विज्ञान की जिज्ञासा नहीं हैं, बल्कि यह हमारे भविष्य के लिए ज़रूरी कदम हैं। यदि हमें कभी मंगल या किसी और ग्रह पर रहना है, तो हमें पहले यह समझना होगा कि अंतरिक्ष हमारे शरीर पर क्या असर डालता है। और इसका सबसे सुरक्षित तरीका है कि पहले जानवरों को भेजकर उनसे सीख ली जाए।

आपका क्या विचार है? क्या आने वाले 50 सालों में इंसानों के साथ-साथ जानवर भी अंतरिक्ष कॉलोनियों में रह पाएंगे? अपनी राय हमें ज़रूर बताइए।


लेखक: Shishupal Meghwal | स्रोत: NASA और अंतरिक्ष अनुसंधान रिपोर्ट्स

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