GPS Virtual Fencing Technology: 2025 में गाय और भैंस के लिए अद्भुत टेक्नोलॉजी
क्या आपने कभी सोचा है कि बिना लोहे की बाड़ या रस्सी के गाय और भैंस को उनके चरने की सीमा में कैसे रखा जा सकता है? GPS Virtual Fencing Technology एक ऐसी नई और स्मार्ट तकनीक है जो दुनिया के कई देशों में पहले से इस्तेमाल हो रही है, और अब यह 2025 में भारत में भी पशुपालन का चेहरा बदल सकती है।

GPS Virtual Fencing Technology क्या है?
यह तकनीक एक GPS कॉलर और सॉफ्टवेयर सिस्टम पर आधारित होती है। हर गाय या भैंस के गले में GPS डिवाइस लगाया जाता है, जो उसकी लोकेशन ट्रैक करता है और जब वह निर्धारित सीमा के पास आती है तो कॉलर से बीप साउंड या हल्का वाइब्रेशन आता है। अगर पशु सीमा पार करने की कोशिश करता है, तो एक हल्का करंट सिग्नल दिया जाता है जो उसे वापस जाने के लिए प्रेरित करता है।
दुनिया में कहां हो रहा है इस्तेमाल?
ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, अमेरिका और नॉर्वे जैसे देशों में यह तकनीक काफी पॉपुलर है। Nofence और Halter जैसी कंपनियां सोलर-पावर्ड GPS कॉलर बना रही हैं, जिनसे किसान अपने मोबाइल ऐप से ही गाय और भैंस की लोकेशन देख सकते हैं और उनकी सेहत की मॉनिटरिंग कर सकते हैं।
भारत में इसके फायदे
- महंगी लोहे की बाड़ लगाने की जरूरत नहीं
- गाय और भैंस चोरी या भटकने से बचेंगे
- मोबाइल ऐप से लोकेशन और हेल्थ डेटा देख सकते हैं
- कम समय और कम मेहनत में ज्यादा नियंत्रण

कैसे करता है काम?
- कॉलर में लगा GPS सेंसर हर 5-10 सेकंड में पशु की लोकेशन रिकॉर्ड करता है।
- किसान मोबाइल ऐप या कंप्यूटर पर अपनी जमीन की सीमा सेट करता है।
- जब पशु सीमा के पास पहुंचता है, तो कॉलर से साउंड या वाइब्रेशन आता है।
- अगर पशु आगे बढ़ता है, तो हल्का करंट सिग्नल उसे रोक देता है।
क्या यह सुरक्षित है?
हाँ, यह तकनीक पूरी तरह से पशु-हितैषी है। इसमें दिया जाने वाला करंट बहुत हल्का होता है, जो सिर्फ एक चेतावनी के रूप में काम करता है और पशु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।
भारत में कब आएगी?
कुछ भारतीय स्टार्टअप इस पर काम कर रहे हैं और 2025-26 तक यह तकनीक किसानों के लिए उपलब्ध होने की उम्मीद है। शुरुआती लागत थोड़ी ज्यादा हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह पैसे और समय दोनों बचाएगी।
निष्कर्ष
GPS Virtual Fencing Technology सिर्फ एक आधुनिक आविष्कार नहीं है, बल्कि यह पशुपालन की दिशा बदलने वाली क्रांति है। आने वाले समय में यह भारत के किसानों के लिए बड़ी मदद साबित होगी और पशुपालन को और स्मार्ट और सुरक्षित बनाएगी।
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